Friday, February 19, 2010

ये केसी मजबूरी ?

मैं हाथ धो रही थी, और वो उसे मारे जा रहा थासोचा की कुछ कहू पर नजाने क्यों चुपचाप वापस गईलेकिन उसके रोने की आवाज आभी भी मेरे कानो में रही थी

वो एक साल का लड़का लाल गाल, सर पर टोपी और उस टोपी मैं लगी वो लम्बी डोरी जिसे वो घुमा घुमा के लोगो से पैसे मांग रहा था। ट्रेन के डिब्बे के बाथरूम के पास उसी की तरह का एक बड़ा लड़का उसे मारे जा रहा थाइस घटना को देख जाने क्यों मेरी आँखों में आंसू आगये, मैं दर्द से कराह रही थीपर कुछ नहीं कर पायी और सो गई। थोड़ी ही देर बाद वही लड़का उसी बड़े लड़के के साथ नाचता और खेल दिखता नजर आया।

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